व्यवसाय

पेट्रोलियम कंपनियों ने एयरटेल से मांगा गैस सब्सिडी का रिफंड

सरकारी तेल कंपनियों ने भारती एयरटेल से सोमवार को एलपीजी सब्सिडी की 190 करोड़ रुपये की रकम वापस मांग ली। पिछली कार्रवाई से परेशान एयरटेल ने फौरन एनपीसीआइ से वादा कर दिया है कि वह अपनी मोबाइल सेवा के 31 लाख ग्राहकों का यह पैसा उनके बैंक खातों में लौटा देगी। कंपनी ने इस संबंध नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआइ) को पत्र लिखकर सूचना दी दी है। इस पत्र में कहा है कि वह अपने सहयोगी एयरटेल पेमेंट बैंक एकाउंट में आई एलपीजी सब्सिडी को उनके पिछले खातों में लौटाने को तैयार है। देश में सभी खुदरा भुगतान के लिए एनपीसीआइ प्रमुख संगठन है।

देश की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी पर ग्राहकों के खाते उनकी सहमति के बिना अपने अपने इस पेमेंट बैंक में खोलने का आरोप है। इसके लिए एयरटेल ने पहले अपने रिटेल सेंटरों पर मोबाइल सिम के आधार नंबर से लिंक करने के लिए ग्राहकों को बुलाया। इन केंद्रों पर आधार के जरिये इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ग्राहकों के सत्यापन की व्यवस्था (ईकेवाईसी) है। यहां आए ग्राहकों के सिम का वेरिफिकेशन और आधार से लिंक करने के साथ ही साथ ईकेवाईसी करते हुए उनके एयरटेल पेमेंट बैंक का खाता भी खोल दिया गया। इसके आधार पर ही उन ग्राहकों की रसोई गैस सब्सिडी एयरटेल के पास आ गई। इसकी शिकायतें मिलने पर सरकार हरकत में आई। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने कार्रवाई करते हुए एयरटेल और एयरटेल पेमेंट बैंक दोनों का ही ईकेवाइसी लाइसेंस निलंबित कर दिया।

इसके कुछ दिनों बाद ही सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने सुनील मित्तल की अगुआइ वाली कंपनी को उसके पेमेंट बैंक के खाते में डाली गई गैस सब्सिडी को वापस करने का निर्देश दिया। इस संबंध में हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने सोमवार को दिन में बयान भी जारी किया। एयरटेल ने एनपीसीआइ को लिखकर दिया कि वह एलपीजी ग्राहकों के डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से जुड़े मूल खातों में 190 करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर कर देगी। भारती एयरटेल रिजर्व बैंक के लाइसेंस के तहत अपने पेमेंट बैंक का भी संचालन करती है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस पूरे मामले में सख्त रुख अपनाया गया है। इसकी वजह से एयरटेल सब्सिडी की यह रकम लौटाने के लिए बाध्य हुई है। यही नहीं, सरकार अब डीबीटी के तहत सब्सिडी के सीधे खाते में जाने की व्यवस्था को और कड़ा करने जा रही है। इसके लिए व्यवस्था को जवाबदेह बनाया जा रहा है। रसोई गैस सब्सिडी के इन पेमेंट बैंक खातों में पहुंचने से लाखों लोगों को असुविधा हुई है। इनमें से बहुतों को यह भी नहीं पता कि उनकी सब्सिडी उनके पुराने बैंक एकाउंट के बजाय बजाय उस खाते में जा रही है, जिसके लिए उन्होंने कोई आवेदन ही नहीं किया है।

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