मध्य प्रदेश

मप्र: अध्यक्ष की गुत्थी में उलझी BJP, कोई शिवराज को नापसंद तो किसी की जमीन पर नहीं पकड़

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद पर बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं। हालांकि पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि जिस भी व्यक्ति को कमान सौंपी जाए, वह निर्विवाद हो, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का साथ दे और किसी गुट विशेष से उसका नाता न हो।

पिछले दिनों हुए चार विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में मिली करारी हार और पार्टी में उभरी गुटबाजी को वर्तमान अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान काबू नहीं कर पा रहे हैं और यही कारण है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी बदलाव का मन बना चुकी है। बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज की नागपुर यात्रा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों से मुलाकात बदलाव की अटकलों को और हवा दे गई।

चर्चा में हैं कई नाम
राज्य में भाजपा के पास अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की सूची में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, उपाध्यक्ष प्रभात झा, राज्य के मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, सांसद अनूप मिश्रा, प्रदेश महामंत्री वीडी शर्मा सहित कई और नाम भी हैं।

’15 साल में बीजेपी नहीं तैयार कर पाई दूसरा चेहरा’
वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का कहना है, ‘भाजपा भी यह मान रही है कि उसके सामने कांग्रेस की चुनौती न होने के बावजूद आगामी चुनाव उसके लिए सबसे कठिन है। साथ ही वर्तमान अध्यक्ष को चुनाव जिताने की क्षमता वाला भी नहीं माना जा रहा है।’ वे आगे कहते हैं कि ‘भाजपा के लिए यह चिंता की बात है कि वह बीते 15 वर्षो में एक भी ऐसा बड़ा नाम तैयार नहीं कर पाई जो संगठन को अच्छे से चला सके। राज्य में नरेंद्र सिंह, अरविंद मेनन और शिवराज की तिकड़ी के लिए चुनाव जीतना हमेशा आसान रहा।’

भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ऐसा नेता तलाश कर रही है जो सबको साथ लेकर चल सके और वह मुख्यमंत्री की पसंद भी हो। पार्टी की कोशिश है कि जिसने जमीनी स्तर पर काम किया हो, संगठन का नेतृत्व करने की क्षमता हो और उस पर किसी तरह के गंभीर आरोप न हों।

सूत्रों पर गौर करें तो विजयवर्गीय व झा की शिवराज से पटरी नहीं बैठती। वहीं बीच-बीच में अनूप मिश्रा के बगावती स्वर भी शिवराज से उनकी दूरी जता चुके हैं। इसके अलावा नरोत्तम मिश्रा की मुख्यमंत्री से करीबी है, मगर पेड न्यूज के मामले में चुनाव आयोग उन्हें छह साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहरा चुका है। दिल्ली उच्च न्यायालय में यह फैसला फिलहाल सुरक्षित है।

शिवराज की पसंद हैं भूपेंद्र सिंह और वीडी शर्मा
भाजपा के जानकार कहते हैं कि शिवराज की मुख्य तौर पर दो पसंद हैं- एक भूपेंद्र सिंह और दूसरे वीडी शर्मा। भूपेंद्र सिंह ने ‘सिंहस्थ कुंभ’ का बखूबी संचालन किया था, तो शर्मा ने ‘नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा’ की कमान संभाली थी। शर्मा संघ और अमित शाह की भी पसंद हैं। वे वर्षों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी भी रहे हैं। इस वक्त युवाओं से सबसे ज्यादा संपर्क और संवाद उनका है। वहीं भूपेंद्र सिंह सहज और सरल नेताओं में गिने जाते हैं।

तोमर की भी हो सकती है वापसी
भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि भूपेंद्र सिंह और शर्मा में से कोई एक अध्यक्ष होगा, नहीं तो पार्टी एक बार फिर नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश राजनीति में भेज सकती है। इसकी वजह तोमर का राज्य के हर वर्ग, क्षेत्र से संपर्क है। इतना ही नहीं उनकी शिवराज से अब भी पटरी खाती है।

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