मध्य प्रदेश

वनरक्षकों को बनाया कार्यवाहक वनपाल फिर हटाया

भोपाल । प्रदेश के वन विभाग में अफसर अपनी डफली अपना राग अलाप रहे हंै। अफसरों की इस कार्य प्रणाली का खामियाजा अधीनस्थ कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। मुख्य वन संरक्षक वृत्त सीवनी एवं मुख्य वन संरक्षक वृत्त छिंदवाड़ा द्वारा कई वन रक्षकों को कार्यवाहक पदोन्नत करते हुए वनपाल बनाया गया था। और हाल ही उक्त सभी थोकमंद कार्यवाहक वनपालों को पुन: वन रक्षक बनाए जाने के आदेश जारी किए हैं। जबकि शासन के नियमानुसार महज रिक्त पदों पर ही कार्यवाहक वनपाल पदस्थ किए जाने थे। जबकि ऐसा नहीं हुआ। ज्यादातर वन रक्षकों को अपनी मनमर्जी से कार्यवाहक वनपाल का दायित्व सौप दिया गया।  इससे वनरक्षकों में हडकंप मच गया है।
गौरतलब है कि शासन के निर्देशानुसार वनरक्षकों को कार्यवाहक वनपाल बनाए जाने के लिए अफसरों ने नियमों के तहत डीपीसी के लिए कमेटी का गठन भी किया। जानकारी के अनुसार उक्त कमेटी में पांच अधिकारियों को शामिल किया गया। जो कि वन रक्षकों को कार्यवाहक वनपाल बनाए जाने के लिए बनाई गई थी। उक्त कमेटी ने बैठक कर उक्त सभी वनरक्षकों को वनपाल बनाए जाने के आदेश जारी किए गए थे। उसके बाद छिंदवाड़ा और सिवनी वृत्त में उक्त कार्यवाहक वनपाल कार्य कर रहे थे। उक्त कार्यवाहक पद से वनपालों को पुन: वनरक्षक बनाए जाने के आदेश कार्यालय वन वृत्त सिवनी ने 12 जुलाई को जारी कर दिए। उक्त आदेश के तहत 40 कार्यवाहक वनपालों को पुन: वन रक्षक बना दिया गया। वहीं दूसरी ओर 11 जुलाई को मुख्य वन संरक्षक एवं पदेन वन संरक्षक वनवृत्त कार्यालय छिंदवाड़ा ने भी 40 कार्यवाहक वनपालों को उनके मूल पद वनरक्षक पद पर यथवात पदस्थ किए जाने आदेश जारी कर दिए।

शासन ने यह दिए थे आदेश


दरअसल, शासन के पत्र दिंनाक 21 फरवरी 2022 और 24 अप्रैल 2023 के अनुसार वन विभाग के अंतर्गत वनरक्षक को कार्यवाहक वनपाल के रूप में सहायक परिक्षेत्र वृत्त के उच्चतर पद पर कार्यवाहक प्रभार दिए जाने के स्पष्ट निर्देश जारी किए थे। जितने पद जिला वन मंडल स्तर पर रिक्त हैं। उच्च पद के प्रभार हेतु उपयुक्त कर्मचारियों की संख्या उससे अधिक हो सकती है। वन क्षेत्रपाल एवं उप वन क्षेत्रपाल का पद राज्य स्तरीय होने से कार्यवाहक प्रभार हेतु वर्तमान वनमंडल  इकाई अंतर्गत रिक्त पद उपलब्ध न होने पर अन्य जिले वन मंडल इकाइयों में रिक्त पद पर प्रभार दिया जाएगा। वनपाल का पद जिला स्तरीय होने से वनरक्षकों को कार्यवाहक प्रभार जिले के अंतर्गत ही किसी भी इकाई में रिक्त पद पर दिया जाएगा। हालांकि कार्यवाहक वनपाल को कार्यवाहक प्रभार धारण करने की अवधि में उच्च कार्यवाहक पद की वर्दी धारण करने के अधिकार दिए गए। लेकिन इसके लिए अतिरिक्त गणवेश अनुदान भत्ता इत्यादि की पात्रता नहीं दी गई। कार्यवाहक वनपाल को किसी प्रकार के अतिरिक्त भत्ता दिए जाने की पात्रता भी नहीं दी गई और ना ही डबल कार्य पर डबल भत्ता दिए जाने की बात भी शासन के आदेश में उल्लेखित की गई है।

रिक्त पद पर करने थे कार्यवाहक वनपाल पदस्थ  


विभाग की कार्यप्रणाली का हास्यास्पद पहलू यह है कि शासन के नियमानुसार वन रक्षकों को महज रिक्त पद पर ही कार्यवाहक वनपाल बनाना थे। जबकि विभाग के आला-अफसरों ने अपनी मनमर्जी से चहेते वनरक्षकों को थोकबंद संख्या में कार्यवाहक वनपाल बनाकर उपकृत कर दिया। जबकि विभाग ने पांच स्तरीय कमेटी भी बनाई, लेकिन उक्त कमेटी ने शासन के नियमों को ही नजरअंदाज कर दिया। उसके बाद 11 जुलाई और 12 जुलाई को छिंदवाड़ा और सिवनी के मुख्य वन संरक्षक वृत्त ने सभी कार्यवाहक वनपालों को पुन: वनरक्षक बनाए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। विभाग के इस फरमान से जिन वनरक्षकों को वनपाल बना दिया गया था और अब पुन: वनरक्षक बना दिया जिससे उनमें आक्रोश की स्थिति देखी जा रही है। वनरक्षकों का कहना है कि पहले हमें प्रमोशन दे दिया और अब हमें डिमोंशन किए जाने के आदेश दे दिए। इसमें हम लोगों की क्या गलती थी जो खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है।

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