मध्य प्रदेश

MP कोरोना संकट : अधिकांश अस्पताल का जवाब बेड नहीं, वेंटीलेटर नहीं, ऑक्सीजन का इंतजाम आप को करना होगा

  • मां को लिए छह घंटे, 10 अस्पताल भटके, सब जगह इंकार, घर लाए और कोराना ने छीन लिया
    -एक ही दिन में दो मौत, अस्पताल पहुंचने वाले सीरियस मरीजों की भी अनदेखी से खटीक समाज में रोष
    -अधिकांश का जवाब बेड नहीं, वेंटीलेटर नहीं, ऑक्सीजन का इंतजाम आप को करना होगा

कीर्ति राणा

मध्यप्रदेश . कोरोना की क्रूरता और अस्पताल संचालकों की मजबूरी या मनमानी का ही परिणाम है कि समय पर उपचार, ऑक्सीजन, इंजेक्शन आदि नहीं मिलने से बचाए जा सकने वाले मरीजों का शव लेकर लौटने को परिजन मजबूर हो रहे हैं। इंदौर सालवी बाखल (सब्जी मंडी) निवासी और मोहल्ले में किसी की मोटी मम्मी, किरण भाभी के नाम से पहचानी जाने वाली किरण गढ़वंशी (60) का निधन खटीक समाज के साथ ही पूरे मोहल्ले के लिए झटके जैसा ही है।इस समाज के दो सदस्यों की एक दिन के अंतराल में हुई मौत से समाज में शोक की लहर है ।किसी भी अस्पताल में बेड-वेंटीलेटर मिल जाता तो शायद किरण गढवंशी की जान बच जाती।


एडवोकेट पंकज गढ़वंशी और प्रॉमिस की मां हल्की हरारत-खांसी का शिकार हुई, कुछ दिन होम आइसोलेशन में रहने के दौरान बेटे-बहू सेवा करते रहे।शुक्रवार की दोपहर तबीयत बिगड़ी तो परिजन अस्पताल में एडमिड कराने के लिए दौड़े, भाजपा से जुड़े समाज के लोगों ने विधायक आकाश विजयवर्गीय से लेकर अन्य नेताओं को खूब फोन लगाए, कोई मदद नहीं कर पाया।परिवार के सदस्यों में कोई बैंक अधिकारी है तो कोई सेंट्रल एक्साईज (जीएसटी) अधिकारी इन सब के प्रयास व्यर्थ गए।
होली वाले उन पुराने दिनों में फिल्मों जैसी होली की धमाचौकड़ी और चुहलबाजी में किरण भाभी अपने बोल-व्यवहार के कारण देवरों की हंसी-ठिठोली वाले निशाने पर रहती थीं।कुछ साल पहले एक पुत्र विकास और फिर पति गणेश गढवंशी को खोने के बाद से अधिकांश समय गोपाल मंदिर महिला भक्त मंडली में ही बिताने वाली किरण भाभी इस लॉकडाउन में गोपाल मंदिर के पट बंद किए जाने से भी व्यथित थीं।बड़े परिवार के आपसी विवाद निपटाने में प्रमुख भूमिका रहने से अधिकांश सदस्य परिवार की ‘सरकारी वकील’ भी कहते रहते थे।

मां को भर्ती कर लो कि गुहार लगाता बेटा 6 घंटे तक 10 से अधिक अस्पतालों में भटकता रहा….

मां को कार में लिए बेटा व अन्य सदस्य दोपहर 2 बजे से रात 8.30 बजे तक अर्पण नर्सिंग होम, बॉंबे हॉस्पिटल, भंडारी और ज्योति हॉस्पिटल, चोईथराम, राजश्री अपोलो, शैल्बी, गोकुलदास, एमटीएच, एप्पल, आदित्य, अरिहंत, एसएसएच तक भटकते रहे। सीरियस मरीज को देखने तक की फुर्सत नहीं थी किसी के पास तो बेड फुल है, ऑक्सीजन-वेंटीलेटर का इंतजाम नहीं है, कह कर मेन गेट से ही लौटा दिया।शैल्थबी हॉस्कपिटल में मरीज डिस्चार्ज हुआ है, यह जानकारी मिलते ही वहां पहुंचे लेकिन निराशा हाथ लगी। हार कर घर लौटे जैसे-तैसे ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम कर परिवार के ही सदस्य डॉ आदित्य बछेरिया सपोर्ट सिस्टम की तैयारी कर ही रहे थे कि दम तोड़ दिया।

-रिश्ते के भाई ने भी दम तोड़ा

उनके रिश्ते के भाई विश्वास (बबलू) भोजक नि महेश नगर (शहर के विभिन्न थानों में पदस्थ रहे टीआई स्व. रूप सिंह भोजक के पुत्र) को भी संक्रमण के चलते अस्पताल में दाखिल किया गया था।शुक्रवार की सुबह उसने भी दम तोड़ दिया। एक साथ दो लोगों के निधन से खटीक समाज में शोक व्याप्त है।
फोटो : किरण गढ़वंशी

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