मध्यप्रदेश में कलेक्टरों के कक्ष में कैलेंडर से गायब हुए शिवराज

– हवा का रुख भाँपने वाले आयएएस हुक्मरान के चुप रहने पर भी सुन-समझ लेते हैं बहुत कुछ
(कीर्ति राणा)
शासकीय सेवा के विभिन्न वर्गों में आयएएस को ही क्यों सिरमौर माना जाता है इसे एक छोटे से वाकये से भी समझा जा सकता है। स्टेट प्रेस क्लब के साथी पत्रकारों ने कलेक्टर लोकेश जाटव से बुधवार की दोपहर मुलाकात की। इंदौर जिला और उनकी प्राथमिकता वगैरह को लेकर चर्चा चल रही थी तभी मेरी नजर उनके कक्ष वाली दीवार पर टंगे सरकारी कैलेंडर पर पड़ी।कैलेंडर था तो मप्र सरकार का ही लेकिन पूरे की जगह आधा ही कैलेंडर था।जिसमें समाप्त होते दिसंबर माह के साथ ही 2019 के पहले माह जनवरी की भी तारीख़ें थीं। ऐसी सूझबूझ सामान्य शासकीय कर्मचारी तो दिखा नहीं सकता।
मप्र में कमल के जाने और कमलनाथ के आने की आहट तो नवंबर के बाद ही सुनाई देने लगी थी और दिसंबर के पहले सप्ताह में कमलनाथ अभूतपूर्व तथा शिवराज भूतपूर्व हो गए।सीएम की कुर्सी पर कमलनाथ बैठ गए, मंत्रिमंडल के साथियों ने काम भी शुरु कर दिया लेकिन शासकीय कार्यालयों में टंगे  कैलेंडर के दिसंबर महीने वाले पन्ने पर प्रधानमंत्री आवास गारंटी योजना के तहत आवासहीन परिवार को आवास प्रमाणपत्र सौंपते-मुस्कुराते शिवराज ही नजर आ रहे थे।
नए सीएम कमलनाथ सत्ता संभालते ही अपनी मंशा जाहिर कर चुके थे कि सरकारी डायरी से लेकर कैलेंडर तक में उनका फोटो प्रकाशित नहीं किया जाए। उनकी इस मंशा के पीछे गहरे संकेत को आयएएस लोकेश जाटव ने तुरंत ताड़ लिया। उनके कक्ष की दीवार पर लटकता कैलेंडर का यह अद्दा खुद  कहानी बयां कर रहा कि ऊपर वाले भाग में पूर्व सीएम शिवराज के चित्र को कितनी सूझबूझ से हटा दिया गया है। शासकीय मुद्रणालय में अभी 2019 के डायरी-कैलेंडर छप रहे हैं जब तक नए कैंलेंडर नहीं आ जाते तब तक सरकारी विभागों में शिवराज के चित्रों वाले इसी कैलेंडर को लगाए रखना होगा।   पंद्रह साल भाजपा सत्ता में रही और सर्वाधिक समय शिवराज सिंह मुख्यमंत्री रहे।कहा जाता है कि सरकार किसी भी दल की हो उसे, या यूँ कहें सीएम-पीएम को, चलाते आयएएस ही हैं। तब के मुख्यमंत्री शिवराज ने तो आयएएस मंडली से कहा नहीं होगा कि प्रदेश का जो सरकारी कैलेंडर प्रकाशित हो उसके हर महीने वाले पन्ने पर मेरा फोटो प्रकाशित किया जाए।ये तो आयएएस ही हैं जो सरकार की नजरों में अपने नंबर बढ़ाने के लिए ठकुर सुहाती के अवसर तलाशते रहते हैं, और जब सरकार भक्ति रस के इस भाव में गले गले तक डूब जाए तो अच्छा भला शिवराज भी राग दरबारी के अनूठे प्रसंगों की वजह से कॉमन मैन होने को मजबूर हो जाता है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सरकार और जनता के बीच महत्वपूर्ण सेतु के रूप में भी चौबीस घंटे काम करते हैं इसलिए उन्हें यदि चुनावी दिनों में नेताओं और राजनीतिक दलों से पहले हवा के रुख का अनुमान हो जाता है तो सत्ता संभालने वाले नए हुक्मरान के चुप रहने के बाद भी उसकी भाव-भंगिमा देख-समझकर वह अघोषित आदेश का स्वत: पालन करने लग जाता है। सामान्य प्रशासन विभाग ने कलेक्टरों को ऐसे कोई आदेश जारी नहीं किए हैं कि शिवराज वाले कैलेंडर कार्यालयों से हटा दिये जाएं लेकिन इंदौर कलेक्टर लोकेश जाटव के इस नवाचार को अपनाने में बाकी जिलों के कलेक्टर भी वक्त जाया नहीं करेंगे।उनके इस नवाचार का यह परिणाम भी सामने आ सकता है कि लोकसभा चुनाव बाद भी वे और मजबूती से जिले में काम करते नजर आएं।
आधा हिस्सा हटाकर ऐसा (गोल घेरे में) कर दिया कैलेंडर ।
दिसंबर महीने वाले पन्ने में ऐसे मुस्कुरा रहे हैं शिवराज


 
				 
					

