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पैराडाइज पेपर्स में दागदार हुई BJP, जयंत सिन्हा ने छिपाई कंपनी के डायरेक्टर होने की बात

टीम डिजिटल। 2014 में झारखंड के हजारीबाग से लोकसभा सांसद चुने जाने से पहले और केंद्र मंत्री बनने से पहले जयंत सिन्हा ने ओमियदीयर नेटवर्क के साथ प्रबंध निदेशक के रुप में साथ काम किया। ओमिडयार नेटवर्क ने अमेरिकी कंपनी डी लाइट डिजाइन में निवेश किया हुआ है। इस कंपनी की एक शाखा केमैन आइलैंड में भी स्थित थी।

विदेशी कानूनी सलाह देने वाली कंपनी एप्पलबी के रिकॉर्ड बताते हैं कि सिन्हा ने डी लाइट डिज़ाइन के निदेशक के रूप में कार्य किया था। उन्होंने चुनाव आयोग को और न ही लोक सभा सचिवालय को अपनी घोषणा में इस बात की जानकारी नहीं दी थी।

डी लाइट डिजाइन इंक 2006 में सैन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया में स्थापित किया गया था, और केमन द्वीप समूह में ये एक ही नाम की सहायक कंपनी है। सितंबर 2009 में सिन्हा ने ओमिडियार नेटवर्क में शामिल होकर दिसंबर 2013 में इस्तीफा दे दिया। ओमिडीयार नेटवर्क ने डी लाइट डिजाइन में निवेश किया था। डी लाइट ने अपने कैमेन आईलैंड स्थिति शाखा के माध्यम से नीदरलैंड के एक निवेशक से 30 लाख डॉलर (आज की दर से करीब 19 करोड़ रुपये) कर्ज हासिल किया था। एप्पलबी के दस्तावेज के अनुसार इस कर्ज के लिए 31 दिसंबर 2012 को समझौता हुआ था। जब ये फैसले लिए गये तो जयंत सिन्हा डी लाइट डिजाइन के डायरेक्टर थे।

सिन्हा ने 26 अक्टूबर 2016 को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को दी गयी सूचना में बताया है, “ओमिडयार नेटवर्क द्वारा साल 2009 से 2013 के बीच गिए गए कुछ निवेशों में उद्घोषक के कुछ हित हो सकते है। उद्घोषण के ऐसे कुछ हित होंगे तो भी वो उसके निर्णय के प्रभआवुत करने लायक नहीं होंगे। सिन्हा का ये उद्घोषण प्रधानमंत्री कार्यकाल की वेबसाइट पर मौजूद है। 2014 में चुनाव जीतने के बाद लोक सभा सचिवालय को सिन्हा ने ऐसी ही जानकारी दी थी।

एप्पलबी के दस्तावेज के अनुसार दिसंबर 2012 में दिसंबर 2012 में डी लाइट डिदाइन इंक कंपनी ने अपनी कंपनी डी लाइट डिजाइन को ग्लोबल कमर्शियल माइक्रोफिनांस कन्सोर्शियम टू बीवी से 30 लाख डॉलर कर्ज लेने की मंजूरी दी। ये कर्ज 15-15 लाख डॉलर की दो किस्तों में लिये जाने को इजाजत दी गयी थी। इस दस्तावेज पर जिन छह लोगों के दस्तखत हैं उनमें से एक जयंत सिन्हा भी हैं।

सिन्हा का जवाब
इस मामले पर सिन्हा ने कहा कि मैं ओमिडयार नेटवर्क से सितंबर 2009 में उनके इंडिया ऑपरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर जुड़ा। दिसंबर 2013 में सार्वजनिक जीवन में आने के लिए मैंने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। सिन्हा ने कहा कि डी लाइट डिजाइन उर्जा क्षेत्र में सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। इस वजह से नवंबर 2014 तक डी लाइट डिजाइन के बार्ड में माने अपनी सेवा दी। सिन्हा ने आगे कहा कि दिसंबर 2013 तक मैं ओडियार नेटवर्क के प्रतिनिध के तौर पर बोर्ड में रहा था। जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक मैं स्वतंत्र निदेशक के तौर पर बोर्ड में रहा। नवंबर 2014 में जब मुझे केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया तो मैंने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। सिन्हा ने या कहा कि अब इस कंपनी से मेरा कोई संबंध नहीं है।

सिन्हा का कहना है कि जब तक वो ओमिडयार के प्रतिनिधि के तौर पर बोर्ड में रह तब तक उन्होंने बार्ड सदस्य के तौर पर कोी भुगतान नहीं लिया। लेकिन जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक तंत्र निदेशक रहने के दौरान मुझे परामर्श शुल्क लिया और डी लाइट डिजाइन के शेयर मिले थे। सिन्हा ने कहा कि ये जानकारी मैंने अपने टैक्स रिटर्न में हमेशा दी है। चुनाव आयोग, लोक सभा और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी मैंने अपने सभी शेयरों के बारे में जानकारी दी है।

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