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ब्रितानी मंत्री प्रीति पटेल का इस्तीफ़ा, कहां हुई चूक?

ब्रितानी सरकार में भारतीय मूल की मंत्री प्रीति पटेल ने अपनी निजी इसराइल यात्रा पर विवाद होने के बाद पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
अगस्त में निजी पारिवारिक छुट्टियों पर इसराइल गईं प्रीति पटेल ने प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू और अन्य इसराइली अधिकारियों से मुलाक़ात की थी.
इसकी जानकारी उन्होंने ब्रितानी सरकार या इसराइल में ब्रितानी दूतावास को नहीं दी थी.
प्रीति पटेल ने विवाद होने के बाद सोमवार को माफ़ी मांग ली थी, लेकिन ये नाकाफ़ी साबित हुई और उन्हें अफ़्रीका दौरा बीच में छोड़कर देश लौटना पड़ा.
बुधवार को दिए अपने इस्तीफ़े में पटेल ने कहा है कि “उनसे जिन उच्च मानकों की उम्मीद की जाती है उनके कार्य उससे नीचे रहे हैं.

45 वर्षीय प्रीति पटेल सत्ताधारी कंज़रवेटिव पार्टी की नेता हैं और पार्टी में उन्हें एक चमकते सितारे के तौर पर देखा जाता रहा है.
वो सरकार में कई भूमिकाएं निभा चुकी हैं. जून 2016 में उन्हें इंटरनेशनल डेवलपमेंट मंत्री बनाया गया था. यानी ब्रिटेन की विकासशील देशों को दी जाने वाली आर्थिक मदद का काम वही देख रही थीं.
वो यूरोपीय संघ की आलोचक रही हैं. कंज़रवेटिव सरकार में उनकी भूमिका अहम थी. उन्होंने समलैंगिक शादियों के ख़िलाफ़ मतदान किया था और धूम्रपान पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ भी अभियान चलाया था. वो इसराइल की एक पुरानी समर्थक रही हैं.
वो साल 2010 में सांसद चुनी गई थीं. ब्रेक्ज़िट अभियान की प्रखर समर्थक प्रीति पटेल 2014 में ट्रेज़री मंत्री थीं. 2015 के आम चुनावों के बाद वो रोज़गार मंत्री बन गई थीं.

लंदन में युगांडा से भागकर आए एक गुजराती परिवार में पैदा हुई प्रीति पटेल ने वैटफ़ोर्ड ग्रामर स्कूल फ़ॉर गर्ल्स में शिक्षा ली है.
उन्होंने उच्च शिक्षा कील और एसेक्स यूनिवर्सिटी से हासिल की है. उन्होंने कंज़रवेटिव पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में नौकरी भी की है और वो 1995 से 1997 तक सर जेम्स गोल्डस्मिथ के नेतृत्व वाली रेफ़रेंडम पार्टी की प्रवक्ता रही हैं. रेफ़रेडम पार्टी ब्रिटेन की यूरोपीय संघ विरोधी पार्टी थी.
विलियम हेग के कंज़रवेटिव पार्टी का नेता बनने के बाद वो पार्टी में लौट आई थीं और 1997 से 2000 तक डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी थीं.
इसके बाद उन्होंने शराब बनाने वाली प्रमुख कंपनी डायजीयो के साथ भी काम किया है.
वो 2005 में नॉटिंगघम सीट के लिए चुनाव हार गई थीं. साल 2010 में उन्होंने विटहैम सीट से चुनाव जीत लिया था.
प्रीति पटेल ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर को अपना आदर्श नेता मानती हैं.

बीते सप्ताह बीबीसी ने बताया था कि उन्होंने अगस्त में इसराइल में पारिवारिक छुट्टियों के दौरान इसराइली अधिकारियों और व्यापार जगत के लोगों से गुप्त मुलाक़ातें की हैं.
उन्होंने इसराइल की एक मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता से मुलाक़ात की और कई संस्थानों के दौरे भी किए जहां अधिकारिक कार्यों पर भी चर्चा हुई.
ये असामान्य था क्योंकि सरकार के मंत्रियों को विदेशों में अपनी गतिविधियों के बारे में सरकार को जानकारी देनी होती है.

अपनी यात्रा के बाद प्रीति पटेल ने सुझाव दिया था कि ब्रिटेन के आर्थिक मदद के बजट का कुछ हिस्सा इसराइली सेना के लिए भी जाना चाहिए.
प्रीति पटेल के इस प्रस्ताव को कई अधिकारियों को अनुचित कहा था. कई अन्य देशों की तरह ब्रिटेन ने कभी भी सीरिया के गोलन हाइट्स इलाक़े पर इसराइल के नियंत्रण को मान्यता नहीं दी है. इसराइल ने 1967 के युद्ध के बाद इस क्षेत्र पर क़ब्ज़ा किया था.
क्या थी प्रीति पटेल की प्रतिक्रिया?
इस्तीफ़ा देने से पहले प्रीति पटेल ने अपनी मुलाक़ातों के बारे में विदेश विभाग को जानकारी न देने के लिए माफ़ी मांगी थी. उन्होंने संकेत दिए थे कि विदेश मंत्री बोरिस जॉनसन को उनकी यात्रा के बारे में पता था.
सरकार ने शुरुआत में प्रीति पटेल की माफ़ी को स्वीकार करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने उन्हें ज़िम्मेदारी का एहसास कराया है. विदेशी विभाग के एक मंत्री ने उनकी मुलाक़ातों का बचाव करते हुए कहा था कि इनके असर में ब्रितानी विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं आया है.

हालांकि विपक्षी लेबर पार्टी ने मांग की थी कि प्रीति पटेल की जांच होनी चाहिए या उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. लेबर पार्टी ने उन पर नियमों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए थे.
सोशल मीडिया पर भी प्रीति पटेल को आलोचना का सामना करना पड़ा था. कुछ लोगों ने सवाल किया था कि पारिवारिक छुट्टी पर कोई किसी देश के नेता से क्यों मिलेगा.

आख़िरकार क्या हुआ
बुधवार को कई घटनाक्रम ऐसे हुए जिनसे प्रीति पटेल और सरकार की मुश्किलें बढ़ गईं. ये बात सामने आई कि सितंबर में भी प्रीति पटेल ने अधिकारियों की ग़ैर मौजूदगी में दो मुलाकातें की थीं. उन्होंने इसराइल के जनसुरक्षा मंत्री से वेस्टमिंस्टर और इसराइल के विदेश मंत्री से न्यूयॉर्क में मुलाक़ात की थी.

प्रीति के लिए परिस्थितियां तब और जटिल हो गईं जब ज्यूइश क्रॉनिकल ने कहा कि सरकार को न्यूयॉर्क में हुई मुलाकात की जानकारी थी और पटेल से कहा गया था कि इसे सार्वजनिक न करें. सरकार ने इन आरोपों का खंडन किया है.
इन नई जानकारियों के बाद प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे पर प्रीति पटेल को पद से हटाने के लिए दबाव बढ़ गया. इन जानकारियों के सामने आने के बाद युगांडा यात्रा पर गईं प्रीति पटेल यात्रा बीच में ही छोड़कर वापस लौट आईं और प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के बाद अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया.
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